जाति जनगणना से यूपी की राजनीति में बड़ा बदलाव, BJP ने एक फैसले से कई फायदे लिए.
जाति जनगणना से यूपी की राजनीति में बड़ा बदलाव, BJP ने एक फैसले से कई फायदे लिए.
Caste Census in UP: मोदी सरकार ने जातीय जनगणना का ऐलान कर विपक्षी दलों को बड़ा झटका दिया है। समाजवादी पार्टी जो 2027 के यूपी चुनाव में इस मुद्दे को लेकर चुनाव जीतने की उम्मीद कर रही थी, अब बीजेपी ने वही कदम उठाकर उसकी रणनीति कमजोर कर दी है।
इस फैसले के पीछे बीजेपी की रणनीति यह है कि वह पिछड़े वर्ग को अपने साथ बनाए रखना चाहती है, जिससे उसे 2017 और 2022 में सत्ता मिली थी। बीजेपी नहीं चाहती कि लोगों को लगे कि वह आरक्षण या पिछड़ों के खिलाफ है।
2024 के लोकसभा चुनाव में जब पिछड़े और दलित वर्ग के वोट कांग्रेस-सपा की तरफ झुके, तो बीजेपी को यूपी में नुकसान हुआ। इसके बाद से ही बीजेपी के कई नेताओं ने जातीय जनगणना की मांग की थी। अब इस फैसले के जरिए पार्टी मिशन 2027 में फिर से पिछड़ों और दलितों को अपने पाले में लाने की तैयारी में है।
सपा ने पिछले चुनाव में पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) और संविधान का नारा दिया था, जिससे बीजेपी को नुकसान हुआ। आरएसएस की चिंतन बैठक में भी यह मुद्दा उठा था।
बीजेपी के सहयोगी जैसे अनुप्रिया पटेल, ओपी राजभर और संजय निषाद पहले से इस मांग को उठा रहे थे। पार्टी अब इन्हें साथ बनाए रखना चाहती है।
बसपा के कमजोर होने के बाद दलित वोटों पर सबकी नजर है। कांग्रेस और सपा इन्हें जोड़ने की कोशिश में हैं, लेकिन बीजेपी ने इस फैसले से विरोधियों की कोशिशों को झटका दे दिया है। अब वह अपने दलित नेताओं को आगे कर कांग्रेस-सपा को जवाब दे रही है।
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