Fake Surrogacy Case: सरोगेसी के नाम पर बच्चों की तस्करी का बड़ा गिरोह पकड़ा, 25 डॉक्टर और कर्मचारी गिरफ्तार।
Fake Surrogacy Case: सरोगेसी के नाम पर बच्चों की तस्करी का बड़ा गिरोह पकड़ा, 25 डॉक्टर और कर्मचारी गिरफ्तार।
गोपालपुरम पुलिस ने यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर की मालकिन डॉ. अथलूरी नम्रता और उनके साथियों के खिलाफ फर्जी सरोगेसी और बच्चों की तस्करी के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने उनके खिलाफ 8 नए मामले दर्ज किए हैं। यह गिरोह फर्टिलिटी क्लीनिक की आड़ में गैरकानूनी काम करता था और जरूरतमंद दंपतियों को ठगता था।
27 जुलाई 2025 को पहला मामला दर्ज हुआ, जिसमें डॉ. नम्रता और उनके साथियों पर एक दंपति को फर्जी सरोगेसी के जरिए ठगने का आरोप था। जांच में पता चला कि सिकंदराबाद और विशाखापट्टनम में अवैध सरोगेसी और बच्चों की खरीद-फरोख्त का रैकेट चल रहा था। पुलिस ने 25 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें डॉक्टर, लैब कर्मचारी, मैनेजर, एजेंट और बच्चों के जन्मदाता शामिल हैं। जांच में कई और पीड़ित भी सामने आए।
सरोगेसी के नाम पर करोड़ों की ठगी हुई है। शिकायतों पर पुलिस ने आठ और मामले दर्ज किए। एक दंपति से 22 लाख रुपये लिए गए और उन्हें मृत बच्चे का फर्जी दिखावा किया गया। एक और मामले में 19 लाख लिए गए, लेकिन बच्चे का डीएनए दंपति से मेल नहीं खाता था। एक केस में 90 साल की डॉ. सूरी के नाम और लाइसेंस का गलत इस्तेमाल कर फर्जी कागज बनाए गए।
डॉ. नम्रता ने सिकंदराबाद, विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, नेल्लोर, राजमुंदरी, भुवनेश्वर और कोलकाता में क्लीनिक खोले थे। वे पहले बांझपन का इलाज बताती थीं, फिर सरोगेसी का वादा करती थीं। दंपतियों से बड़ी रकम लेकर गरीब माताओं से बच्चे खरीदे जाते थे और फर्जी डीएनए रिपोर्ट्स दिखाकर दिए जाते थे। एजेंटों को लड़कियों के लिए 3.5 लाख और लड़कों के लिए 4.5 लाख रुपये मिलते थे, जबकि दंपतियों से 30-40 लाख लिए जाते थे।
पुलिस ने डीआई बीवी कौशिक के नेतृत्व में तेजी से कार्रवाई कर 25 आरोपियों को पकड़ा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच अब CCS SIT को सौंप दी जाएगी। पुलिस ने लोगों से सावधान रहने और फर्जी फर्टिलिटी क्लीनिक से बचने की सलाह दी है। भारत में व्यावसायिक सरोगेसी गैरकानूनी है।