मोटे लोगों के लिए खुशखबरी दिल की बीमारी का खतरा कम

Updated on 2025-11-04T15:28:21+05:30

मोटे लोगों के लिए खुशखबरी दिल की बीमारी का खतरा कम

मोटे लोगों के लिए खुशखबरी दिल की बीमारी का खतरा कम

मोटापे पर हुई एक नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस रिसर्च ने मोटापे और दिल की बीमारियों के बीच के पुराने संबंध को चुनौती दी है। आम तौर पर माना जाता है कि मोटापा दिल की बीमारी और हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण बनता है, लेकिन हाल की रिसर्च में पाया गया है कि एमसी4आर नाम का जीन, जो मोटापा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है, दिल की बीमारियों से बचाव भी करता है।

रिसर्च के मुताबिक, जिन लोगों में एमसी4आर जीन का रेयर वेरिएंट होता है, उनमें एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) का स्तर कम रहता है और हार्ट डिजीज का खतरा भी घटता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह जीन करीब 1% मोटे लोगों और 5% मोटे बच्चों में पाया जाता है। ब्रिटेन में हर 300 में से एक व्यक्ति में यह जीन म्यूटेशन मौजूद हो सकता है।

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मोटापा और हार्ट डिजीज का अनोखा रिश्ता

स्टडी का मकसद यह जानना था कि कुछ लोग मोटे होने के बावजूद दिल की बीमारियों से कैसे बचे रहते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के एक्सपर्ट्स द्वारा की गई इस रिसर्च में पता चला कि एमसी4आर जीन दिमाग में एक ऐसा प्रोटीन बनाता है जो भूख को नियंत्रित करता है। जब यह जीन ठीक से काम नहीं करता, तो व्यक्ति ज्यादा खाता है और वजन तेजी से बढ़ता है। हालांकि इसके रेयर वेरिएंट वाले लोगों में खराब कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम पाया गया, जिससे दिल की बीमारी का खतरा घट जाता है।

हजारों लोगों पर रिसर्च के नतीजे

इस स्टडी में 7,719 बच्चों और 124 वयस्कों के जीन का अध्ययन किया गया, जिनका मोटापा एमसी4आर जीन की गड़बड़ी से जुड़ा था। फिर उनकी तुलना यूके के बायो बैंक के 3.36 लाख लोगों से की गई। परिणामों में पाया गया कि जिन लोगों में यह जीन मौजूद था, उनका ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल स्तर बेहतर था और उनके दिल की सेहत आम लोगों से बेहतर रही।

क्या कहती है रिपोर्ट?

रिपोर्ट के अनुसार, एमसी4आर जीन शरीर के फैट मेटाबॉलिज्म को दिमाग के जरिए नियंत्रित करता है। जिन लोगों में यह जीन ठीक से काम नहीं करता, उनमें मोटापा तो बढ़ता है, लेकिन ट्राइग्लिसराइड और खराब कोलेस्ट्रॉल कम होता है। रिसर्चर्स का मानना है कि इस जीन की कार्यप्रणाली को समझकर दिल की बीमारियों और हाई कोलेस्ट्रॉल के इलाज के लिए नई दवाएं बनाई जा सकती हैं।

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