सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस बने जस्टिस गवई, जो देश के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस हैं। उन्होंने शपथ ली।
सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस बने जस्टिस गवई, जो देश के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस हैं। उन्होंने शपथ ली।
जस्टिस बीआर गवई ने 52वें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वह न केवल पहले बौद्ध सीजेआई हैं, बल्कि दलित समुदाय से दूसरे व्यक्ति भी हैं, जिन्होंने इस प्रतिष्ठित पद को संभाला। इससे पहले, 2007 में जस्टिस केजी बालाकृष्णन पहले दलित सीजेआई बने थे। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा और वह 23 नवंबर तक इस पद पर रहेंगे।
उनके प्रमुख फैसलों में कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण निर्णय शामिल हैं, जिनमें बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ की गई कार्रवाई, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखना, डिमोनेटाइजेशन को सही ठहराना, अनुसूचित जाति के कोटे में उप-वर्गीकरण को वैध मानना, और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ की गई आलोचना शामिल है।
जस्टिस गवई ने अपनी टिप्पणी में बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ फैसला देते हुए कहा था कि आश्रय के अधिकार को किसी भी हालत में नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने मनमानी तोड़फोड़ की निंदा करते हुए कहा कि यह प्राकृतिक न्याय और कानून के शासन के खिलाफ है। उनका कहना था कि कार्यपालिका, न्यायधीश, जूरी या जल्लाद की भूमिका नहीं हो सकती।
वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट के उन आदेशों की भी जस्टिस गवई ने आलोचना की थी, जिसमें मामूली आरोपों के साथ रेप और रेप की कोशिश को कमतर आंका गया था। इसके साथ ही, पीड़ितों को लेकर शर्मनाक टिप्पणियाँ की गई थीं।
जस्टिस गवई बौद्ध धर्म का पालन करते हैं और उन्होंने बताया कि उन्हें गर्व है कि उन्होंने बुद्ध पूर्णिमा के बाद मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ ली। उनके परिवार के सदस्य, विशेष रूप से उनके पिता और बाबा साहेब आंबेडकर ने भी बौद्ध धर्म अपनाया था। जस्टिस गवई की नियुक्ति न केवल एक ऐतिहासिक क्षण है, बल्कि यह समाज के विभिन्न तबकों के लिए प्रेरणा भी है।