आर्य समाज मंदिर शादी किस कानून के तहत होती है और इसकी वैधता कितनी है, जानें

Updated on 2025-08-12T13:34:47+05:30

आर्य समाज मंदिर शादी किस कानून के तहत होती है और इसकी वैधता कितनी है, जानें

आर्य समाज मंदिर शादी किस कानून के तहत होती है और इसकी वैधता कितनी है, जानें

हिंदू धर्म में शादी एक पवित्र संस्कार है, जो सोलह संस्कारों में से एक माना जाता है। इसमें दूल्हा-दुल्हन सात जन्म तक साथ निभाने के वचन लेते हैं। यह महत्वपूर्ण अनुष्ठान वैदिक मंत्रों और पारंपरिक रीति-रिवाजों से पूरा किया जाता है।

लेकिन कई लोग शादियों में दिखावा करने की बजाय सीधे और सादगी से शादी करना पसंद करते हैं। ऐसे में वे अक्सर आर्य समाज मंदिर में शादी करते हैं। अब जानते हैं कि आर्य समाज मंदिर किस कानून के तहत शादी कराता है।

आर्य समाज वैलिडेशन एक्ट क्या है

आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी। इसके मंदिरों में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी कराई जाती है। भारत में इस शादी को वैधता देने के लिए आर्य समाज वैलिडेशन एक्ट 1937 बनाया गया। यह कानून बताता है कि आर्य समाज में की गई शादी पूरी तरह कानूनी है, बशर्ते इसमें सभी नियमों का पालन हो।

कानून में क्या नियम हैं

आर्य समाज मूर्ति पूजा नहीं करता, लेकिन इसे हिंदू धर्म का हिस्सा माना जाता है। यहां शादी वैदिक रीति से होती है और दूल्हा-दुल्हन अग्नि के सात फेरे लेते हैं। आर्य समाज में शादी पर वही शर्तें लागू होती हैं, जो हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में हैं—जैसे दोनों का मानसिक रूप से स्वस्थ होना, कानूनी उम्र का होना, और एक-दूसरे के सपिंड (एक ही पूर्वज से संबंधित) न होना।

अक्सर लोग जाति-पांति की बाधाओं से बचने, जल्दी और सादगी से शादी करने के लिए आर्य समाज मंदिर का चुनाव करते हैं