अंधेरे में टिमटिमाती जुगनुओं की रोशनी बुझ रही है, इंसानी लापरवाही से संकट में चमकती जिंदगी

Updated on 2025-07-03T12:44:47+05:30

अंधेरे में टिमटिमाती जुगनुओं की रोशनी बुझ रही है, इंसानी लापरवाही से संकट में चमकती जिंदगी

अंधेरे में टिमटिमाती जुगनुओं की रोशनी बुझ रही है, इंसानी लापरवाही से संकट में चमकती जिंदगी

कभी गर्मियों की शामों में बच्चों की सबसे प्यारी याद बनकर चमकने वाले जुगनू अब धीरे-धीरे गायब होते जा रहे हैं। एक समय था जब हर गांव, मैदान और जंगल में अंधेरे के साथ इन चमकते कीड़ों की मौजूदगी आम बात थी। लेकिन आज की पीढ़ी शायद आखिरी पीढ़ी है जिसने इन्हें असल में उड़ते देखा है।

जुगनू — जिन्हें लाइटनिंग बग्स भी कहा जाता है — सिर्फ देखने में ही जादुई नहीं होते, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अहम होते हैं। लेकिन इंसानी गतिविधियों ने इनके अस्तित्व को गंभीर खतरे में डाल दिया है।

इनके घटते अस्तित्व के पीछे कई वजहें हैं — जंगलों का खत्म होना, खेतों में कीटनाशकों का इस्तेमाल, प्रदूषण और रात में तेज़ कृत्रिम रोशनी। जैसे-जैसे शहर फैलते जा रहे हैं और जंगलों की जगह कंक्रीट ले रहा है, वैसे-वैसे ये कीड़े अपने प्राकृतिक आवास खो रहे हैं। सड़क की रोशनी और ऊंची इमारतों की चमक इन्हें भ्रमित कर देती है, जिससे ये साथी खोजने में भी असफल हो जाते हैं।

खेती में उपयोग होने वाले रसायनों से भी इनका जीवन संकट में है। कीटनाशकों से केवल कीड़े नहीं, बल्कि जुगनू जैसे उपयोगी जीव भी मारे जाते हैं। अगर अभी भी कदम नहीं उठाए गए, तो कई इलाकों से ये चमकदार कीड़े पूरी तरह लुप्त हो सकते हैं।

एक समय था जब जुगनू देखना बचपन की सबसे आसान खुशी होती थी, लेकिन आज वह एक दुर्लभ दृश्य बन गया है। यदि प्रकृति की रक्षा अभी नहीं की गई, तो आने वाली पीढ़ियां जुगनुओं को सिर्फ किताबों या स्क्रीन पर देख पाएंगी।

जुगनुओं को बचाना सिर्फ एक कीड़े को बचाना नहीं, बल्कि ये याद दिलाता है कि हर छोटे जीव को जीने और चमकने के लिए जगह चाहिए — और वह जगह हमें उन्हें देनी होगी।