भारत में मेट्रो क्रांति: 81 KM से 1000 KM तक का सफर, बदल रही है शहरों की तस्वीर

Updated on 2025-06-06T11:06:06+05:30

भारत में मेट्रो क्रांति: 81 KM से 1000 KM तक का सफर, बदल रही है शहरों की तस्वीर

भारत में मेट्रो क्रांति: 81 KM से 1000 KM तक का सफर, बदल रही है शहरों की तस्वीर

भारत की मेट्रो यात्रा ने पिछले कुछ सालों में जबरदस्त रफ्तार पकड़ी है। जहां 2006 तक देश में मेट्रो नेटवर्क सिर्फ 81 किलोमीटर तक सीमित था, वहीं 2025 तक यह आंकड़ा 1,000 किलोमीटर पार कर चुका है। देश के 11 राज्यों के 23 शहरों में आज मेट्रो दौड़ रही है और शहरी जीवन की रीढ़ बन चुकी है।

2022 में भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क बना लिया। अब भारत से आगे सिर्फ चीन और अमेरिका हैं। लेकिन यह उपलब्धि एक दिन में नहीं मिली—असल बदलाव 2014 के बाद शुरू हुआ।

1969 में मेट्रो की परिकल्पना की गई थी और 1984 में कोलकाता में देश की पहली मेट्रो चली, लेकिन इसके बाद विकास की गति धीमी रही। 2014 से पहले हर महीने सिर्फ 600 मीटर मेट्रो ट्रैक बिछाया जा रहा था, जबकि आज यह गति 10 गुना बढ़कर 6 किलोमीटर प्रति माह हो गई है।

यह तेज़ी सरकार की शहरी परिवर्तन योजना का अहम हिस्सा है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई जैसे शहर अपने मेट्रो नेटवर्क को तेजी से बढ़ा रहे हैं। दिल्ली का नेटवर्क 2026 तक 450 किलोमीटर पार करने की ओर है। वहीं बेंगलुरु (76 किमी), हैदराबाद (69 किमी), चेन्नई (54 किमी), पुणे (33 किमी), नागपुर (38 किमी), कोच्चि (28 किमी), लखनऊ (22 किमी) और जयपुर (11 किमी) जैसे शहरों में भी मेट्रो का विस्तार जारी है।

2024 तक 1,000 किलोमीटर से ज्यादा की नई मेट्रो लाइन पर काम चल रहा है और ₹12,000 करोड़ से अधिक की परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं। अगर यही रफ्तार बनी रही तो अगला 1,000 किलोमीटर का सफर अगले दशक में पूरा हो सकता है।

दिल्ली की मेट्रो जहां अब लगभग अपनी सीमा पर पहुंच चुकी है, वहीं बाकी शहरों में बीते 20 सालों में और खासकर पिछले 11 सालों में सबसे ज्यादा विकास हुआ है। आज मेट्रो सिर्फ यात्रा का साधन नहीं, बल्कि भारत के शहरी विकास की रफ्तार का प्रतीक बन चुकी है।