नेक्स्ट-जनरेशन जीएसटी सुधार: भारत की अर्थव्यवस्था को पारदर्शी और व्यापार-अनुकूल बनाना

Updated on 2025-09-03T13:21:38+05:30

नेक्स्ट-जनरेशन जीएसटी सुधार: भारत की अर्थव्यवस्था को पारदर्शी और व्यापार-अनुकूल बनाना

नेक्स्ट-जनरेशन जीएसटी सुधार: भारत की अर्थव्यवस्था को पारदर्शी और व्यापार-अनुकूल बनाना

भारत का अप्रत्यक्ष कर ढांचा बड़े बदलाव के कगार पर है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने व्यापक “नेक्स्ट-जेनरेशन” जीएसटी सुधारों का ऐलान किया है, जिसका लक्ष्य अर्थव्यवस्था को पारदर्शी और व्यापार-हितैषी बनाना है।

प्रस्तावित योजना बेहद सरल है—कर स्लैब घटाकर केवल तीन किए जाएंगे: 5%, 18% और 40%। अभी 12% और 28% स्लैब में आने वाले उत्पादों को दोबारा बांटा जाएगा। जरूरी सामान जैसे खाद्य पदार्थ और कपड़े 5% पर आएंगे, जबकि रेफ्रिजरेटर और एयर-कंडीशनर जैसे व्हाइट गुड्स 18% पर होंगे। सिर्फ लग्जरी और “सिन गुड्स” पर 40% का टैक्स लगेगा।

ये सुधार सिर्फ टैक्स दरों तक सीमित नहीं हैं। इनमें पंजीकरण और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया भी आसान होगी, जिससे खासकर एमएसएमई और छोटे कारोबारियों को राहत मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी के टास्क फोर्स की कल्पना है ऐसी अर्थव्यवस्था की, जहां अनुपालन बिल्कुल सहज और पारदर्शी हो। सीतारमण ने भी इसे “पूरी तरह खुली अर्थव्यवस्था” की दिशा बताया।

सरकार का दांव बड़ा है। जीएसटी को सरल बनाकर घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना, खपत को प्रोत्साहित करना और स्टार्टअप्स व उद्यमियों में भरोसा जगाना इसका मकसद है। दिवाली से पहले इन सुधारों का प्रतीकात्मक महत्व भी है—ये त्योहारी खर्चों में राहत दे सकते हैं।

हालांकि चुनौतियां भी हैं। राज्यों को राजस्व घटने की चिंता हो सकती है और इसके लिए जीएसटी काउंसिल में सहमति जरूरी होगी। फिर भी माहौल सकारात्मक है—विश्वास, तकनीक और पारदर्शिता पर आधारित ये सुधार भारत में एक अधिक समावेशी और कुशल कर व्यवस्था की शुरुआत कर सकते हैं।

अगर इसे संतुलन और सहयोग से लागू किया गया तो जीएसटी कारोबार और उपभोक्ताओं दोनों के लिए अधिक उपयोगी होगा, और भारत एक नए राजकोषीय स्पष्टता के दौर में प्रवेश कर सकता है।