कांधार हाईजैक के गुनहगार कहां पहुंचे

Updated on 2025-12-24T17:58:16+05:30

कांधार हाईजैक के गुनहगार कहां पहुंचे

कांधार हाईजैक के गुनहगार कहां पहुंचे

24 दिसंबर 1999 का दिन भारत के विमानन और सुरक्षा इतिहास में सबसे काले दिनों में गिना जाता है. इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC 814 को काठमांडू से दिल्ली आते वक्त पांच आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था. विमान को कई देशों में घुमाने के बाद आखिरकार अफगानिस्तान के कांधार ले जाया गया, जहां तालिबान के संरक्षण में यात्रियों को सात दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया।

हाईजैकर्स ने भारत सरकार के सामने तीन खतरनाक आतंकियों को रिहा करने की शर्त रखी. मजबूरी में भारत को मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को छोड़ना पड़ा. इसके बाद सभी यात्रियों को तो सुरक्षित छोड़ दिया गया, लेकिन एक यात्री रुपिन कत्याल की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया।

इस हाईजैक में सीधे तौर पर पांच आतंकी शामिल थे, जबकि कुछ लोग पर्दे के पीछे साजिश रच रहे थे. सालों बाद जब इनके अंजाम पर नजर डालते हैं तो तस्वीर कुछ हद तक बदली हुई दिखती है. उपलब्ध जानकारियों के मुताबिक इन पांच में से चार आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि मानी जाती है।

हाईजैक के दौरान सबसे ज्यादा हिंसक दिखने वाला आतंकी शाहिद अख्तर सईद बाद में आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय रहा और 2001 के संसद हमले से जुड़े नेटवर्क में शामिल पाया गया, जहां उसे मार गिराया गया. वहीं यात्री की हत्या करने वाला जहूर मिस्त्री इब्राहिम कई सालों तक पाकिस्तान में छिपकर रहा और आखिरकार 2022 में उसकी भी हत्या हो गई।

इसके अलावा इस साजिश से जुड़े मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ अजहर और यूसुफ अजहर को भी हाल के वर्षों में मारे जाने की खबरें सामने आईं, हालांकि पाकिस्तान ने इन दावों को आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया. वहीं एक आतंकी ऐसा भी माना जाता है, जिसके जिंदा होने की आशंका अब तक बनी हुई है, लेकिन उसकी कोई ठोस पुष्टि नहीं हो पाई है।

IC 814 कांधार हाईजैक सिर्फ एक विमान अपहरण नहीं था, बल्कि यह भारत की आतंकवाद नीति के लिए एक बड़ा सबक बन गया. आज भी जब इस घटना को याद किया जाता है, तो सवाल उठता है कि जिन आतंकियों ने उस दिन देश को झुकने पर मजबूर किया, उनमें से कितनों को वाकई उनके गुनाह की सजा मिल पाई।