रुपया रोज क्यों फिसल रहा…
रुपया रोज क्यों फिसल रहा…
रुपये की गिरावट पिछले कुछ हफ्तों से लगातार देखने को मिल रही है। डॉलर के मुकाबले रुपया जिस रफ्तार से कमजोर हो रहा है, उसने अर्थव्यवस्था को लेकर नई चिंता पैदा कर दी है। जानकार मानते हैं कि इस गिरावट के पीछे मुख्य तौर पर दो कारण हैं, जिनका असर तुरंत रुका नहीं दिख रहा।
पहली वजह है अमेरिका में ब्याज दरों को लेकर पैदा हुई नई अनिश्चितता। फेडरल रिजर्व के संकेत साफ नहीं हैं और बाजार को लग रहा है कि ब्याज दरों में राहत जल्दी मिलती नहीं दिख रही। इसका सीधा असर उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है, जहां निवेशक अपनी रकम वापस अमेरिकी बाजारों में ले जाते हैं। इसी वजह से डॉलर मजबूत और रुपया कमजोर दिखाई दे रहा है।
दूसरी बड़ी वजह है कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें। भारत दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातकों में शामिल है, इसलिए जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल महंगा होता है, तो डॉलर की मांग बढ़ जाती है। ज्यादा डॉलर खरीदने की जरूरत का मतलब है कि रुपया दबाव में आ जाता है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में हलचल होते ही रुपया तेजी से टूटता दिखाई देता है।
रुपये की इस गिरावट का असर आम लोगों तक भी पहुंचता है। आयातित सामान महंगा होता है, कंपनियों को अतिरिक्त खर्च बढ़ता है और धीरे-धीरे महंगाई पर दबाव बढ़ने लगता है। हालांकि रिजर्व बैंक समय-समय पर हस्तक्षेप करता है, लेकिन वैश्विक परिस्थितियां ऐसी हैं कि सुधार तुरंत होता नजर नहीं आ रहा।
विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिरता तभी लौटेगी जब अमेरिकी बाजारों में नीतिगत परिस्थिति स्पष्ट होगी और तेल की कीमतें शांत होंगी। फिलहाल रुपये की कमजोरी एक बड़ी आर्थिक चुनौती बन चुकी है और बाजार की नजरें आगे आने वाली वैश्विक घोषणाओं पर टिकी हैं।