अमेरिका को भारत की जरूरत पर अचानक जोर क्यों…
अमेरिका को भारत की जरूरत पर अचानक जोर क्यों…
अमेरिकी राजनीति में चीन को लेकर चिंता एक बार फिर बढ़ गई है। इसी बीच एक अमेरिकी सांसद ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से साफ कहा कि चीन का खतरा तेजी से बढ़ रहा है और ऐसे समय में अमेरिका को भारत की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है।
यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका-चीन तनाव लगातार गहराता जा रहा है, चाहे वह सैन्य गतिविधियां हों, व्यापार मसले हों या इंडो-पैसिफिक में बढ़ता दबदबा। सांसद ने ट्रंप को चेतावनी भरे अंदाज़ में कहा कि चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए भारत सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार साबित हो सकता है। अमेरिका की नजर में भारत सिर्फ एक एशियाई शक्ति नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संतुलन का बड़ा स्तंभ माना जाता है।
सांसद ने कहा कि अगर अमेरिका को वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत रखनी है, तो उसे भारत जैसे विश्वसनीय साझेदार के साथ रिश्ते और गहरे करने होंगे। खासकर रक्षा सहयोग, प्रौद्योगिकी साझेदारी और इंडो-पैसिफिक में संयुक्त सुरक्षा रणनीति पर अमेरिका को भारत के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना पड़ेगा।
यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नए गठजोड़ बन रहे हैं। चीन की आक्रामक नीतियों को देखते हुए अमेरिका इंडो-पैसिफिक में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। इसमें क्वाड जैसे मंच पहले से मौजूद हैं, लेकिन अमेरिकी सांसद का यह बयान बताता है कि भारत की भूमिका अब और अहम होती जा रही है।
कई विश्लेषक मानते हैं कि यह टिप्पणी सिर्फ राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि अमेरिका की बड़ी रणनीतिक सोच का संकेत है। अमेरिका जानता है कि एशिया में चीन का मुकाबला अकेले संभव नहीं, और भारत की बढ़ती सैन्य-आर्थिक ताकत इस पूरे समीकरण में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
फिलहाल इस बयान ने भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर नई चर्चा छेड़ दी है। आने वाले समय में दोनों देशों की नीतियों और सहयोग पर दुनिया की नजर और ज्यादा टिकी रहेगी।