तुलसी विवाह में कैसी होती है विधि, कब और कैसे होती है भगवान विष्णु से मां तुलसी की शादी
तुलसी विवाह में कैसी होती है विधि, कब और कैसे होती है भगवान विष्णु से मां तुलसी की शादी
हर साल की तरह इस बार भी तुलसी विवाह का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। यह दिन भगवान विष्णु और माता तुलसी (वृंदा) के दिव्य मिलन का प्रतीक माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन मनाया जाता है, जो इस बार नवंबर 2025 में मनाया जाएगा। इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत का दौर भी शुरू होता है।
पूजन विधि और सामग्री
इस दिन भक्त तुलसी के पौधे को विवाह के जोड़े की तरह सजाते हैं। तुलसी के पास शालिग्राम जी (भगवान विष्णु का स्वरूप) की मूर्ति रखी जाती है। तुलसी माता को साड़ी पहनाई जाती है, जबकि शालिग्राम को धोती और जनेऊ पहनाकर दूल्हे के रूप में सजाया जाता है। फिर फूल-मालाओं से दोनों का विवाह कराया जाता है।
पूजन के लिए तुलसी पत्र, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, नारियल, दीपक, लौंग, इलायची, पंचामृत, मिठाई, और कपड़े जैसी सामग्री तैयार रखी जाती है। विवाह के दौरान "जय तुलसी-विष्णु विवाह" के जयकारों के बीच मंत्रोच्चार से विवाह संपन्न होता है।
कहते हैं कि इस दिन तुलसी और विष्णु के विवाह में शामिल होने से घर में समृद्धि, सौभाग्य और वैवाहिक सुख बढ़ता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से तुलसी विवाह करता है, उसके जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और घर में लक्ष्मी का वास होता है।
तुलसी विवाह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह आस्था, प्रेम और पवित्रता का प्रतीक है , जहां एक पौधा भी ईश्वर का रूप बनकर पूजा जाता है और पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।