Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला व्रत सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें पानी भी नहीं पीना होता। इसे पहले पांडवों ने रखा था।

Updated on 2025-05-22T16:57:33+05:30

Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला व्रत सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें पानी भी नहीं पीना होता। इसे पहले पांडवों ने रखा था।

Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला व्रत सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें पानी भी नहीं पीना होता। इसे पहले पांडवों ने रखा था।

Nirjala Ekadashi 2025: वृषभ संक्रांति और मिथुन संक्रांति के बीच ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। साल की सभी 24 एकादशियों में से यह सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।

जो लोग साल भर सभी एकादशियों का उपवास नहीं रख पाते, उन्हें सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहिए क्योंकि इससे बाकी सभी एकादशियों के फल मिलते हैं। लेकिन यह व्रत सबसे कठिन माना जाता है। आइए जानते हैं क्यों।

निर्जला एकादशी 2025 कब है?

यह व्रत 6 जून 2025 को होगा। इस व्रत के पुण्य से व्यक्ति भगवान विष्णु के लोक तक पहुंचता है।

निर्जला एकादशी व्रत क्यों कठिन है?

इस व्रत में न केवल भोजन बल्कि पानी भी पूरी तरह से 24 घंटे तक नहीं लिया जाता। ज्येष्ठ माह की गर्मी में बिना पानी रहना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन जो इसे पूरा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

निर्जला एकादशी व्रत सबसे पहले किसने रखा?

कहानी के अनुसार, इसे सबसे पहले भीमसेन ने रखा था। पांडवों में भीम खाने-पीने के बहुत शौकीन थे और वे सभी एकादशी व्रत नहीं रख पाते थे। उन्हें डर था कि वे भगवान विष्णु का सम्मान नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें स्वर्ग नहीं मिलेगा।

महर्षि व्यास ने भीमसेन को सलाह दी कि वह साल में एक बार निर्जला एकादशी का व्रत करें, जो बाकी सभी एकादशियों के बराबर फल देता है। उन्होंने कहा कि जो यह व्रत करता है, वह स्वर्ग पाने योग्य होता है।

नोट: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और कथाओं पर आधारित है।