Last Updated Apr - 11 - 2025, 12:33 PM | Source : Fela News
भारत ने राफेल मरीन फाइटर जेट की डील फाइनल कर ली है। अब 26 जेट आने वाले हैं। 63 हजार करोड़ की इस डील से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति बनाए रखने में मदद मिलेगी औ
भारत ने अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए फ्रांस से 26 राफेल-एम फाइटर जेट की डील पक्की कर ली है। इस 63 हजार करोड़ की डील में भारत को 22 सिंगल सीटर और 4 डबल सीटर जेट मिलेंगे। डबल सीटर जेट पायलट ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होंगे।
इन जेट्स को INS Vikrant और INS Vikramaditya पर तैनात किया जाएगा। ये कम दूरी से टेकऑफ कर सकते हैं, जिससे समुद्र में मिशन करना आसान होगा। इससे पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की ताकत बढ़ेगी और चीन-पाकिस्तान जैसी चुनौतियों से निपटना आसान हो जाएगा।
इस डील में मेंटेनेंस, लॉजिस्टिक सपोर्ट और नौसैनिकों की ट्रेनिंग भी शामिल है। साथ ही, इसमें "मेक इन इंडिया" को बढ़ावा देने वाला ऑफसेट प्रावधान भी है।
राफेल-एम की खासियतें:
खास फीचर्स: हवा में ही ईंधन भरना, एडवांस रडार और स्टेल्थ टेक्नोलॉजी
यह जेट निगरानी, हमले और जासूसी जैसे कई मिशन कर सकता है। साथ ही एंटी-शिप वारफेयर में भी असरदार है। इससे भारतीय नौसेना को हवा, समुद्र और जमीन—तीनों से सुरक्षा मिलती है।
चीन के जेट्स के मुकाबले:
राफेल-एम हल्का है और ज्यादा हथियार ले जा सकता है।
इसकी रेंज चीन के J-10, J-15 और सुखोई-30 से ज्यादा है।
ऊंचाई तक उड़ान में राफेल थोड़ा पीछे है, लेकिन टेक्नोलॉजी और हथियारों के मामले में आगे है।
राफेल 4.5 जेनरेशन का एडवांस फाइटर है, जबकि चीन के जेट चौथी पीढ़ी के हैं।
क्यों जरूरी है ये डील?
दक्षिण एशिया में भारत और चीन ही ऐसे देश हैं जिनके पास एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। राफेल-एम से भारत को बड़ी बढ़त मिलेगी, खासकर इंडो-पैसिफिक जैसे संवेदनशील क्षेत्र में। इससे समुद्र में भारत की सुरक्षा और मौजूदगी और मजबूत होगी।
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