Last Updated Jun - 21 - 2025, 01:08 PM | Source : Fela News
रणथंभौर की प्रसिद्ध शेरनी एरोहेड (T‑84), जो मगरमच्छ शिकार के लिए जानी जाती थी, 19 जून को मस्तिष्क ट्यूमर से पीड़ित होकर निधन हो गया—बस उसके बाद ही उसकी बेटी का
रणथंभौर की सबसे चर्चित बाघिनों में से एक ‘एरोहेड’ (T-84) का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। वह पिछले काफी समय से बोन कैंसर से जूझ रही थीं। वन विभाग ने गुरुवार को इंस्टाग्राम पोस्ट के ज़रिए उनके निधन की पुष्टि की। खास बात यह रही कि उनके निधन से कुछ ही घंटे पहले उनकी बेटी RBT 2507 को मुकुंदरा टाइगर रिज़र्व में स्थानांतरित किया गया था, जिसने इस भावुक विदाई को और भी ऐतिहासिक बना दिया।
रणथंभौर नेशनल पार्क की आधिकारिक इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा गया—“भारी मन से हम एक दुखद समाचार साझा कर रहे हैं। रणथंभौर की शान, बाघिन एरोहेड (T-84), कृष्णा की बेटी और मशहूर ‘मछली’ की नातिन, अब हमारे बीच नहीं रहीं। बेटी के स्थानांतरण के कुछ घंटे बाद ही उन्होंने अंतिम सांस ली। वह पिछले काफी समय से बोन कैंसर से लड़ रही थीं।”
एरोहेड, जिनका जन्म बाघिन कृष्णा (T-19) से हुआ था, बाघों की एक प्रसिद्ध वंश परंपरा का हिस्सा थीं। उनकी नानी ‘मछली’ (T-16) को ‘क्रोकोडाइल किलर’ के नाम से जाना जाता था। एरोहेड ने भी अपनी मौत से दो दिन पहले इसी साहसिक परंपरा को दोहराया। उन्होंने पद्म तालाब के पास एक मगरमच्छ का शिकार किया, जो रणथंभौर के ज़ोन 3 के जोगीमहल इलाके में हुआ।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एरोहेड पानी के किनारे शांति से बैठी थीं और जैसे ही मगरमच्छ पानी से बाहर आया, उन्होंने अचानक हमला कर दिया। करीब एक मिनट की ज़ोरदार भिड़ंत के बाद मगरमच्छ ने दम तोड़ दिया। यह घटना, एरोहेड के जीवन के आखिरी दिनों की यादगार वीरता बन गई।
14 वर्षीय एरोहेड का यूं जाना भारतीय वन्यजीव इतिहास का एक भावुक क्षण है। उनकी बहादुरी, विरासत और संघर्ष की कहानी हमेशा याद रखी जाएगी।