Last Updated May - 28 - 2025, 02:12 PM | Source : Fela News
HAL तेजस के लिए बनाया गया कावेरी इंजन, भले ही पहली उड़ान न भर पाया हो, लेकिन अब UCAV ‘घातक’ जैसे प्रोजेक्ट के साथ मिलकर दोबारा उड़ान भरने को तैयार है।
भारत का स्वदेशी जेट इंजन बनाने का सपना ‘कावेरी इंजन’ के ज़रिए शुरू हुआ था। इसे DRDO के तहत गैस टर्बाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (GTRE) ने डेवलप किया। मकसद था— HAL तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमान (LCA) को विदेशी इंजनों पर निर्भर किए बिना देश में ही तैयार इंजन से उड़ाना।
तकनीकी रूप से कितना दमदार है कावेरी?
कावेरी एक लो-बायपास आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन है, जो FADEC (Full Authority Digital Engine Control) और मॉड्यूलर डिजाइन जैसी आधुनिक तकनीकों से लैस है।
इसमें शामिल हैं:
थ्रस्ट क्षमता:
यानी इसे सुपरसोनिक फाइटर जेट्स की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर ही डिज़ाइन किया गया था।
क्यों नहीं उड़ पाया तेजस में कावेरी?
हालांकि तकनीक मजबूत थी, लेकिन कई तकनीकी दिक्कतें सामने आईं। इंजन तय मानकों के थ्रस्ट-टू-वेट रेशियो को नहीं छू पाया।
हाई टेम्परेचर मैटेरियल्स की कमी
टर्बाइन ब्लेड फेल्योर
इंजन की ओवरऑल रिलायबिलिटी पर सवाल
इन सभी वजहों से इसे तेजस फाइटर में इस्तेमाल नहीं किया जा सका।
क्या अब भी ज़िंदा है कावेरी का सपना?
बिलकुल। यह प्रोजेक्ट पूरी तरह विफल नहीं रहा। अब इसका ड्राई वर्जन भारत के UCAV प्रोजेक्ट ‘घातक’ के लिए तैयार किया जा रहा है। साथ ही इंटरनेशनल कंपनियों के साथ मिलकर इसके अपग्रेडेड वर्जन पर काम करने की भी बात चल रही है।
जनता से भी मिल रहा है समर्थन
अब सोशल मीडिया पर #FundForKaveriEngine जैसे ट्रेंड्स के ज़रिए लोग इस प्रोजेक्ट को दोबारा फंड देने की मांग कर रहे हैं। यह दिखाता है कि देश के लोग भारत की स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी के लिए स्वदेशी इंजन की अहमियत को समझते हैं
कावेरी इंजन की कहानी भारत के आत्मनिर्भर डिफेंस टेक्नोलॉजी मिशन की एक अहम मिसाल है। यह प्रोजेक्ट फिर से उड़ान भरने को तैयार है—और शायद इस बार सफलता की ऊंचाईयों तक पहुंचे।