Last Updated Sep - 02 - 2025, 11:31 AM | Source : Fela News
ED का आरोप है कि Amtek के प्रमोटर अरविंद धाम करीब 500 शेल कंपनियों के नेटवर्क को कंट्रोल करते थे। इन कंपनियों को 15 स्तरों की परतों में चलाया जाता था ताकि फंड्स
2006 तक कारोबारी अरविंद धाम की कंपनी Amtek Auto भारत की बड़ी ऑटो पार्ट्स कंपनियों में गिनी जाने लगी थी। इसकी कमाई 635 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई थी और यह कंपनी Bharat Forge जैसी मार्केट लीडर के करीब पहुँच रही थी।
2006 से पहले के सालों में Amtek Auto तेज़ी से बढ़ी और General Motors, Ford, Suzuki जैसी वैश्विक कंपनियों को सप्लाई करने लगी। लेकिन 2015-16 में कंपनी को 529 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और यह कहानी उलट गई।
अरविंद धाम ने घरेलू बाजार में तेज़ी की उम्मीद में आक्रामक विस्तार किया, लेकिन बाज़ार उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ा। नतीजा यह हुआ कि 2016 तक कंपनी पर करीब 19,000 करोड़ रुपये का कर्ज़ चढ़ गया। इसे बचाने के लिए IDBI बैंक की अगुवाई में बैंकों ने 2015 में इसमें पैसा डाला।
लेकिन करीब एक दशक बाद भी कंपनी खड़ी नहीं हो सकी। आरोप है कि अरविंद धाम ने खुद कंपनी में दिलचस्पी छोड़ दी और बैंकों से लिए गए करीब 26,000 करोड़ रुपये को रियल एस्टेट और निजी फायदे के लिए हड़प लिया।
अब ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने उन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने करीब 500 शेल कंपनियां बनाई थीं, जो 15 परतों के ढांचे में चल रही थीं। इन कंपनियों का कोई असली कारोबार नहीं था, बल्कि रियल एस्टेट प्रॉपर्टी के नाम पर फंड्स घुमाने का काम करती थीं। इन कंपनियों के डायरेक्टर उनके ड्राइवर, मैकेनिक, ऑफिस असिस्टेंट और छोटे कर्मचारियों को बनाया गया था। जैसे – एक 12वीं पास असिस्टेंट 87 कंपनियों का डायरेक्टर था, 10वीं पास मैकेनिक 37 कंपनियों का और 9वीं पास ड्राइवर 24 कंपनियों का डायरेक्टर था।
ED की जांच में सामने आया कि कुछ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (CA) ने बिना सही ऑडिट किए 2018 से 2022 के बीच सैकड़ों कंपनियों के दस्तावेज़ों पर साइन किए।
IDBI बैंक ने अरविंद धाम, गौतम मल्होत्रा और सौम्या नारायणन राजगोपालन पर नया केस भी दर्ज कराया है, जिसमें बैंक को 446 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके बाद CBI ने भी जुलाई 2025 में इनके खिलाफ FIR दर्ज की।
पिछले साल ED ने अरविंद धाम को गिरफ्तार किया था। उनकी जमानत अर्जी दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि यह “बहुत बड़े पैमाने पर हुआ आर्थिक अपराध है, जिसने सार्वजनिक बैंकों को भारी नुकसान पहुंचाया और जनता का भरोसा तोड़ा।”