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"आइसक्रीम- cookies नहीं, हम चिप्स बना रहे हैं!"—स्टार्टअप फाउंडर ने Piyush Goyal की टिप्पणी पर दिया करारा जवाब

"आइसक्रीम- cookies नहीं, हम चिप्स बना रहे हैं!"—स्टार्टअप फाउंडर ने Piyush Goyal की टिप्पणी पर दिया करारा जवाब

Last Updated Apr - 09 - 2025, 02:22 PM | Source : Fela News

कहानी की शुरुआत: एक मंच, एक बयान और फिर वायरल हो गई एक पोस्ट
"आइसक्रीम- cookies नहीं, हम चिप्स बना रहे हैं!"—स्टार्टअप फाउंडर ने Piyush Goyal की टिप्पणी पर दिया करारा जवाब

हाल ही में आयोजित 'Startup Mahakumbh 2025' इवेंट में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय स्टार्टअप कल्चर को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि भारत में करोड़पतियों के बच्चे अब 'फैंसी आइसक्रीम और कुकीज़' जैसे स्टार्टअप्स बना रहे हैं, जबकि देश को असली टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन—जैसे सेमीकंडक्टर—की ज़रूरत है।

लेकिन इस बयान ने एक सेमीकंडक्टर स्टार्टअप फाउंडर को कुछ ज़्यादा ही चुभ गया, और उन्होंने Reddit पर एक जबरदस्त पोस्ट के ज़रिए पलटवार किया। अब ये पोस्ट सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है।

स्टार्टअप फाउंडर का जवाब: "हम असली काम कर रहे हैं, दिखावा नहीं"

फाउंडर की पोस्ट ने देश के टेक इकोसिस्टम की असलियत बयां कर दी।

इस फाउंडर ने पहले Intel जैसी ग्लोबल कंपनी में काम किया और अब एक ऐसा स्टार्टअप चला रहे हैं जो अमेरिका और यूरोप के क्लाइंट्स के लिए चिप डिजाइन करता है—यानि 'दुनिया के लिए भारत में बन रहा है सेमीकंडक्टर ब्रेन'। उन्होंने अपनी पोस्ट में बताया कि कैसे उन्होंने एक लाभदायक कंपनी बनाई है लेकिन भारत में काम करना कितना मुश्किल है।

सरकारी प्रक्रियाएं और भारतीय क्लाइंट्स से शिकायतें

रेडिट पोस्ट में सामने आई सिस्टम की सच्चाई।

पोस्ट में उन्होंने लिखा कि भारतीय क्लाइंट्स और सरकारी प्रक्रियाएं इतनी जटिल और धीमी हैं कि कई बार काम शुरू करने से पहले ही स्टार्टअप का हौसला टूट जाता है। छोटे स्टार्टअप्स को न तो सही मार्गदर्शन मिलता है, न ही कोई प्रोत्साहन।

सोशल मीडिया पर मिला साथ, Mohandas Pai ने किया समर्थन

पोस्ट पर आया इंडस्ट्री लीडर्स का ध्यान, बनी नेशनल डिबेट।

इस फाउंडर की पोस्ट को जब पूर्व Infosys CFO और बिजनेस लीडर मोहनदास पई ने रीट्वीट किया, तो बात और तेज़ हो गई। पई पहले ही कह चुके हैं कि सरकार को डीप-टेक स्टार्टअप्स को समर्थन देना चाहिए और चीन से तुलना करके हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।

पीयूष गोयल का बड़ा सवाल: क्या भारत स्टार्टअप्स से असली इनोवेशन की उम्मीद करे?

मंत्री जी की चिंता: स्टार्टअप्स क्या सिर्फ अमीरों का खेल बनते जा रहे हैं?

गोयल का तर्क था कि भारत में स्टार्टअप्स ज़्यादा तर उच्च वर्ग को टारगेट कर रहे हैं—जैसे महंगे स्नैक्स या लक्ज़री सर्विसेज़। जबकि असली ज़रूरत है हेल्थकेयर, एजुकेशन, और सेमीकंडक्टर जैसी फील्ड में इनोवेशन की।

बहस ज़रूरी है, लेकिन दिशा और सहयोग उससे भी ज़्यादा

ये बहस बताती है कि भारत को सिर्फ स्टार्टअप्स नहीं, स्टार्टअप्स के लिए मजबूत सपोर्ट सिस्टम चाहिए।

रेडिट पोस्ट और मंत्री जी के बयान ने एक ज़रूरी डिबेट को जन्म दिया है—क्या भारत में टेक इनोवेशन के लिए ज़मीन तैयार है? और अगर नहीं, तो उसे कैसे बनाया जाए?

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