Last Updated Sep - 08 - 2025, 10:11 AM | Source : Fela News
वास्तु और मंदिर का गहरा संबंध है। सही दिशा और ऊर्जा संतुलन से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है। जानें मंदिर की उचित स्थापना और महत्व।
आज हम जानेंगे कि वास्तु के अनुसार मंदिर की सही जगह किसी घर, भवन या ऑफिस में कौनसी होनी चाहिए |साथ ही इन बातों पर भी विचार करेंगे कि गलत दिशा में मंदिर होने से क्या हानि या नुकसान हो सकते हैं |
मंदिर घर का वो स्थान होता है जहां मनुष्य परमात्मा से जुड़ता है |ध्यान की अवस्था में जाता है | एकाग्र होकर सही या गलत के फैसले ले सकता है |जहां उसे आत्मा के परमात्मा से जुड़ने का एहसास होता है |
किसी भी घर ,भवन या ऑफिस का सबसे पवित्र स्थान मंदिर ही है | चलिए जानते है,मंदिर से जुड़ी कुछ बातें, जिन्हें अपना कर आप अपने घर, भवन या ऑफिस, कारोबार का माहौल सकारात्मक बना सकते हैं और दिन दुगनी, रात चौगुनी तरक्की कर सकते हैं |
1)मंदिर के लिए सबसे उपयुक्त स्थान किसी भी घर, भवन या ऑफिस में उत्तर-पूर्व दिशा होती है, जिसे ईशान कोण के नाम से जाना जाता है |
2)यदि किसी कारणवश उत्तर पूर्व दिशा में मंदिर बनाना पॉसिबल न हो, तो पूर्व में मंदिर बना सकते है |पूर्व दिशा सूर्य की दिशा होती है ये आपके जीवन को आगे की ओर ले जाती है |
3)मंदिर कभी भी दक्षिण पश्चिम में नहीं बनाना चाहिए |
4)घर, भवन या ऑफिस में बने मंदिर में गुंबद नहीं होना चाहिए |
5)यदि अपने अपने घर, भवन या ऑफिस में मंदिर रखा है, तो उसमें दिया बाती प्रतिदिन होनी चाहिए |
6)मंदिर की स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए |
7)मंदिर में कभी भी नीले, काले, भूरे कपड़े का उपयोग नहीं करना चाहिए |
8) मंदिर में हमेशा नीचे बैठकर ही पूजा करनी चाहिए |
9) बिना आसन के पूजा करना वर्जित है |
मंदिर के सही दिशा में नहीं होने से व्यक्ति को, धन हानि, मान हानि, अहंकार, कोर्ट कचहरी, संतान से संबंधित, स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है | इसलिए जातक को चाहिए कि यदि वो घर, भवन या कार्यालय में मंदिर स्थापित कर रहे हैं तो पूरे विधि-विधान और नियम से करे और प्रभु कृपा का पात्र बने | इन सभी बातों का ध्यान रखकर आप अपने घर और कारोबार दोनों को ऊँचाइयों तक ले जा सकते