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निर्माण स्थलों पर महिला मजदूरों की दुर्दशा: ना शौचालय, ना सुविधा, मासिक धर्म में भी काम करने की मजबूरी

निर्माण स्थलों पर महिला मजदूरों की दुर्दशा: ना शौचालय, ना सुविधा, मासिक धर्म में भी काम करने की मजबूरी

Last Updated Jun - 24 - 2025, 12:14 PM | Source : Fela News

निर्माण स्थलों पर काम करने वाली महिला मजदूरों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिलतीं। शौचालय नहीं, मासिक धर्म में भी आराम नहीं—स्वास्थ्य, सम्मान और अधिकार सबकुछ दांव
निर्माण स्थलों पर महिला मजदूरों की दुर्दशा
निर्माण स्थलों पर महिला मजदूरों की दुर्दशा

दिल्ली-एनसीआर के निर्माण स्थलों पर काम करने वाली महिला मजदूरों को आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। मासिक धर्म जैसे निजी और संवेदनशील समय में भी उन्हें ना तो विश्राम मिलता है, ना ही सुरक्षित स्थान।

अंगूरी, जो एक निर्माण स्थल पर काम करती हैं, बताती हैं कि उन्हें माहवारी के दूसरे दिन भी लगातार काम करना पड़ा, जिसके कारण उनके जांघों पर गहरे निशान पड़ गए। “अगर हम टॉयलेट जाने की बात कहें तो ठेकेदार डराता है कि नौकरी से निकाल देगा,” वह कहती हैं।

वहीं ममता बताती हैं, “हम कपड़ा इस्तेमाल करते हैं, लेकिन बदलने की कोई सुरक्षित जगह नहीं है। हमें किसी कोने में जाकर कपड़ा पलटना पड़ता है। सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक वही कपड़ा पहने रहना मजबूरी है।” ये बात वह शर्माते हुए उन पुरुषों के बीच कहती हैं, जो पास में बीड़ी पी रहे होते हैं।

ये हालात सिर्फ एक जगह के नहीं, बल्कि दिल्ली-एनसीआर के कई निर्माण स्थलों पर महिलाओं की स्थिति ऐसी ही है। स्वच्छ शौचालयों, विश्राम के स्थानों और मासिक धर्म के दौरान सुविधाओं की कमी इन महिला मजदूरों को प्रतिदिन मानसिक और शारीरिक यातना से गुजरने पर मजबूर कर रही है।

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