Last Updated Dec - 15 - 2025, 05:50 PM | Source : Fela News
बीजेपी ने संगठनात्मक मजबूती और युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए नितिन नबीन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया।
आज बीजेपी ने संगठन में बड़ा बदलाव किया है और बिहार के युवा नेता नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह कदम इसलिए भी सियासी चर्चा में है क्योंकि पार्टी ने अभी तक नया राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित नहीं किया है, लेकिन कार्यकारी अध्यक्ष नाम देकर शीर्ष नेतृत्व ढांचे में बदलाव का संकेत दे दिया है।
बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हैं, लेकिन उनके कार्यकाल की अवधि पहले ही पूरी हो चुकी है और नया अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो सकी थी। इसी बीच पार्टी ने संसदीय बोर्ड की मंजूरी से नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है, जो संगठनात्मक जिम्मेदारियों को संभालेंगे जब तक नया राष्ट्रीय अध्यक्ष तय नहीं होता।
नितिन नबीन 45 साल के हैं और बिहार के मंत्री हैं। वे लगातार कई बार विधायक चुने गए हैं और पार्टी के भीतर संगठनात्मक काम का अनुभव रखते हैं। भाजपा नेतृत्व ने उन्हें यह पद इसलिए दिया है ताकि पार्टी की गतिविधियों को मज़बूती से आगे बढ़ाया जा सके और नेतृत्व में नई ऊर्जा लाई जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई वरिष्ठ नेताओं ने भी उन्हें बधाई दी है और उनके अनुभव की तारीफ की है।
बीजेपी के इस फैसले को पार्टी के अंदरूनी राजनीति और रणनीति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह नियुक्ति पार्टी में पीढ़ीगत बदलाव और संगठन के संतुलन को ध्यान में रखकर की गई है। नितिन नबीन को युवा नेता होने के साथ-साथ संगठन और सरकार दोनों स्तरों का अनुभव होने के कारण इस भूमिका के लिए चुना गया है।
इसके अलावा पार्टी की ओर से यह संदेश भी गया है कि शीर्ष नेतृत्व में बदलाव के बावजूद संगठन की गतिविधियाँ सुचारू रूप से जारी रहेंगी। जब तक नई अध्यक्षता प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नबीन ही पार्टी के कामकाज को देखेंगे। इस निर्णय को बीजेपी के अंदर तेज़ी से बदलती राजनीतिक स्थिति और आगामी चुनौतियों से निपटने की रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, बीजेपी ने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पद पर नितिन नबीन को इसलिए चुना है ताकि संगठनात्मक मजबूती, युवा नेतृत्व को बढ़ावा और नेतृत्व बदलने के बीच संतुलन बनाया जा सके। यह फैसला पार्टी के लिए एक रणनीतिक बदलाव भी माना जा रहा है और आगे इसका असर राजनीतिक मामलों पर देखा जाएगा।