Last Updated Sep - 06 - 2025, 12:20 PM | Source : Fela News
आजकल लोग घंटों स्क्रीन पर समय बिताते हैं, जो आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है। डिजिटल फास्टिंग यानी मोबाइल, लैपटॉप और टीवी से कुछ समय दूर रहना आंखों को आराम देत
आज की तेज़-तर्रार जिंदगी में स्मार्टफोन और स्क्रीन का इस्तेमाल हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। काम हो या मनोरंजन, हर चीज डिजिटल डिवाइस पर निर्भर है। लेकिन लगातार स्क्रीन देखने से आंखों और दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है। इसी बीच डिजिटल फास्टिंग तेजी से लोकप्रिय हो रही है
डिजिटल फास्टिंग क्या है?
डिजिटल फास्टिंग का मतलब है मोबाइल, लैपटॉप, टीवी और टैबलेट जैसी स्क्रीन से कुछ समय के लिए दूर रहना। इसका मकसद आंखों को आराम देना, मानसिक थकान कम करना और शरीर को रिलैक्स करना है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि यह डिजिटल आई स्ट्रेन या कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम से बचने का एक अच्छा तरीका है।
स्क्रीन से ब्रेक क्यों जरूरी है?
आजकल लोग हाइब्रिड वर्क और ऑनलाइन पढ़ाई के कारण 8-10 घंटे तक स्क्रीन पर रहते हैं। इससे आंखों में जलन, सिरदर्द, धुंधला दिखाई देना, गर्दन और कंधे में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों में लंबे समय तक स्क्रीन देखने से मायोपिया यानी दूर की चीज़ें कम दिखाई देना बढ़ सकता है। ब्लू लाइट से नींद भी प्रभावित होती है।
डिजिटल फास्टिंग के फायदे
स्क्रीन से ब्रेक लेने से आंखों और दिमाग को आराम मिलता है। नींद बेहतर होती है और काम पर फोकस बढ़ता है।
कैसे करें डिजिटल फास्टिंग
एक्सपर्ट्स के मुताबिक 20-20-20 रूल अपनाएं: हर 20 मिनट बाद, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखें। साथ ही पर्याप्त रोशनी में काम करना, पानी ज्यादा पीना और स्क्रीन टाइम को सीमित करना भी फायदेमंद है।