Last Updated Aug - 26 - 2025, 11:43 AM | Source : Fela News
Chaurchan Puja 2025: गणेश चतुर्थी पर 27 अगस्त को मिथिलांचल में चौरचन पूजा होगी। इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित है, फिर भी यहां चांद की पूजा होती है। जानें इसका महत्व
Chaurchan Festival 2025: भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के साथ ही मिथिलांचल में चौरचन पूजा का भी खास महत्व है। इस साल चौरचन पूजा 27 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। इसे चौठचंद या चारचन्ना पबनी भी कहा जाता है।
आमतौर पर गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन वर्जित माना जाता है क्योंकि इससे मिथ्या कलंक लगने की बात कही जाती है। लेकिन मिथिला में इस दिन विशेष मंत्रों के साथ चंद्रमा की पूजा होती है, जिससे दोषों से मुक्ति और आशीर्वाद मिलता है।
चंद्रोदय और शुभ मुहूर्त
27 अगस्त को चंद्रोदय सुबह 08:34 बजे और चंद्रास्त रात 08:28 बजे होगा। पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है, जिसका शुभ समय शाम 6:25 से 7:55 बजे तक रहेगा।
चौरचन पूजा का महत्व
जैसे छठ पूजा में सूर्य की आराधना होती है, वैसे ही चौरचन में चंद्र देव की पूजा होती है। माना जाता है कि यह पूजा मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत करने के लिए की जाती है। इससे तनाव और चंचलता कम होती है।
पूजा विधि
व्रतधारी महिलाएं एक दिन पहले बिना नमक का भोजन करती हैं और मिट्टी के बर्तन में दही जमाती हैं।
पूजा के लिए ठेकुआ और अन्य व्यंजन बनाए जाते हैं।
शाम को गंगा स्नान के बाद घर के आंगन को गोबर से लीपा जाता है और चावल पीसकर रंगोली बनाई जाती है।
केले के पत्ते पर गोलाकार चंद्रमा बनाकर उसमें व्यंजन सजाए जाते हैं।
रात में चंद्र देव को अर्घ्य देकर फल, मिठाई और खीर अर्पित की जाती है।
Aug - 27 - 2025
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